shiv chalisa lyricsl Options

जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...

Victory to the partner of Girija, the compassionate Lord. He usually shields and nurtures his devotees and kids. With a crescent moon adorning his forehead, And earrings made of snakes’ hoods.

लोकनाथं, शोक – शूल – निर्मूलिनं, शूलिनं मोह – तम – भूरि – भानुं ।

ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

Glory to Girija’s consort Shiva, that's compassionate to the destitute, who generally protects the saintly, the moon on whose forehead sheds its lovely lustre, As well as in whose ears are classified as the pendants from the cobra hood.

दिल्ली के प्रसिद्ध हनुमान बालाजी मंदिर

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। Shiv chaisa छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

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